Sarabjot Singh Shooter
Sarabjot Singh Shooter: सरबजोत सिंह ने पेरिस ओलंपिक 2024 में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया। मनु भाकर के साथ मिलकर उन्होंने यह मेडल जीता, जो उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
शुरुआती जीवन और प्रेरणा
सरबजोत का जन्म हरियाणा के अंबाला जिले के धीन गांव में हुआ। उनके पिता जतिंदर सिंह एक किसान हैं और माँ हरदीप कौर गृहिणी हैं। सरबजोत की शिक्षा चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में हुई, और उनके कोच अभिषेक राणा रहे। सरबजोत का शूटिंग के प्रति लगाव बचपन में ही शुरू हुआ, जब उन्होंने एक समर कैंप में बच्चों को एयर गन चलाते देखा।
शूटिंग की ओर रुझान
Sarabjot Singh Shooter: शुरुआत में सरबजोत फुटबॉल खिलाड़ी बनना चाहते थे, लेकिन समर कैंप में बच्चों को पेपर टारगेट पर निशाना लगाते देख उनका मन बदल गया। 2014 में, जब सरबजोत 13 साल के थे, उन्होंने अपने पिता से शूटिंग करने की इच्छा जताई। पिता ने शुरुआत में खेल की महंगी लागत की चिंता जताई, लेकिन सरबजोत ने महीनों तक अपनी इच्छा पर अड़े रहकर उन्हें मना लिया। उनका यह जुनून और मेहनत 2019 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने पर रंग लाई।
ओलंपिक में सफलता
पेरिस ओलंपिक 2024 में, सरबजोत सिंह ने मनु भाकर के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम इवेंट में कांस्य पदक जीता। इस जोड़ी ने दक्षिण कोरिया की टीम को 16-10 से हराकर यह पदक जीता। यह सरबजोत का पहला ओलंपिक पदक था और मनु भाकर के लिए इन खेलों का दूसरा पदक था। इससे पहले, मनु ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीता था।
कठिनाइयों का सामना
सरबजोत के लिए यह ओलंपिक सफर आसान नहीं रहा। 27 जुलाई को पुरुषों की 10 मीटर पिस्टल इवेंट में उन्होंने केवल एक अंक के अंतर से फाइनल में जगह नहीं बना पाई। उन्होंने 577-16x का स्कोर किया, लेकिन जर्मनी के रॉबिन वाल्टर से एक अंक पीछे रह गए। इस निराशा के बावजूद, सरबजोत ने हार नहीं मानी और मनु भाकर के साथ मिलकर टीम इवेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
भविष्य की ओर
सरबजोत सिंह ने अपनी असफलता से सीख ली और अपने प्रदर्शन में सुधार किया। उन्होंने यह दिखा दिया कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। उनके इस ऐतिहासिक प्रदर्शन से न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश को गर्व हुआ है।
निष्कर्ष
सरबजोत सिंह की कहानी प्रेरणादायक है। उन्होंने सीमित संसाधनों और कई कठिनाइयों के बावजूद अपनी मेहनत और लगन से सफलता हासिल की। पेरिस ओलंपिक 2024 में उनकी यह उपलब्धि न केवल सरबजोत के करियर के लिए मील का पत्थर है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।